गुरुहरि हरीप्रसादस्वामीजीने अपने दो जीवन सुत्र- युवा सेवा ही मेरी पूजा है। युवा ही मेरा सर्वस्व है। द्वारा संसार में युवानो को नयी दिशा देकर उनकी दशा सुधार के युवानी को धन्य एवम् दिव्य बनाया है। ऐसी धन्यता प्राप्त करने हेतु आत्मीय युवा महोत्सव का आयोजन कीया गया है।